ଦୈନିକ କରନ୍ତୁ ମହାକଳାଙ୍କର ଏହି ମନ୍ତ୍ର ଜାପ, ଦୂର ହେବ ସମସ୍ୟା ଏବଂ ମିଳିବ ଶିବଙ୍କର ବରଦାନ

ଭଗବାନ ଶିବଙ୍କୁ ତାଙ୍କ ଭକ୍ତ ବିଭିନ୍ନ ନାମରେ ଡାକିଥାନ୍ତି। କିଏ ତାଙ୍କୁ ଭୋଲାନାଥ କହିଥାନ୍ତି ତ କିଏ ମାହାଦେବ କୁହନ୍ତି। ଭଗବାନ ଶିବଙ୍କୁ ତାଙ୍କ ଭକ୍ତମାନେ ବିଭିନ୍ନ ରୁପରେ ପୂଜନ୍ତି। ତାଙ୍କର ପୂଜା ପାଇଁ ଅନେକ ମନ୍ତ୍ରର ଜାପ କରାଯାଇଥାଏ। କିନ୍ତୁ ମହାଦେବଙ୍କର ଏପରି କିଛି ମନ୍ତ୍ର ରହିଛି ଯାହାର ଉଚ୍ଚରଣ ଦ୍ବାରା ଜୀବନର ବଡ଼ରୁ ବଡ଼ କଷ୍ଟ ଦୂର ହୋଇଥାଏ।
ମହାଦେବଙ୍କର ଗୋଟିଏ ସ୍ବରୁପ ମହାକାଳଙ୍କର ମଧ୍ୟ ଅଟେ। ଏହା ଅର୍ଥ ସେ ମୃତ୍ୟୁକୁ ନିଜ ନିୟନ୍ତ୍ରଣରେ କରିପାରିବେ। ଏନେଇ ମହାଦେବଙ୍କର ମହାକଳ ସ୍ତୋତ୍ର ରହିଛି । ଯାହାର ବିଭିନ୍ନ ସ୍ତୋତ୍ରରେ ଶିବଙ୍କର ବିଭିନ୍ନ ସ୍ବରୁପର ସ୍ତୁତି କରାଯାଇଛି। ଧାର୍ମିକ ଗ୍ରନ୍ଥ ଅନୁଯାୟୀ , ଏହି ସ୍ତୋତ୍ରର ଦୈନିକ ଉଚ୍ଚାରଣ ଭକ୍ତ ପାଇଁ ବରଦାନ ସ୍ବରୁପ ହୋଇଥାଏ।
ଏହି ସ୍ତୋତ୍ରର ଜାପ କରିବା ଦ୍ବାରା ଭକ୍ତଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ନୂତନ ଉର୍ଜା ଯାତ ହୋଇଥାଏ। ଆସନ୍ତୁ ଜାଣିବା କଣ ରହିଛି ସେହି ସ୍ତୋତ୍ର।
ॐ महाकाल महाकाय महाकाल जगत्पत
महाकाल महायोगिन महाकाल नमोस्तुते
महाकाल महादेव महाकाल महा प्रभो
महाकाल महारुद्र महाकाल नमोस्तुते
महाकाल महाज्ञान महाकाल तमोपहन
महाकाल महाकाल महाकाल नमोस्तुते
भवाय च नमस्तुभ्यं शर्वाय च नमो नमः
रुद्राय च नमस्तुभ्यं पशुना पतये नमः
उग्राय च नमस्तुभ्यं महादेवाय वै नमः
भीमाय च नमस्तुभ्यं मिशानाया नमो नमः
ईश्वराय नमस्तुभ्यं तत्पुरुषाय वै नमः
सघोजात नमस्तुभ्यं शुक्ल वर्ण नमो नमः
अधः काल अग्नि रुद्राय रूद्र रूप आय वै नमः
स्थितुपति लयानाम च हेतु रूपआय वै नमः
परमेश्वर रूप स्तवं नील कंठ नमोस्तुते
पवनाय नमतुभ्यम हुताशन नमोस्तुते
सोम रूप नमस्तुभ्यं सूर्य रूप नमोस्तुते
यजमान नमस्तुभ्यं अकाशाया नमो नमः
सर्व रूप नमस्तुभ्यं विश्व रूप नमोस्तुते
ब्रहम रूप नमस्तुभ्यं विष्णु रूप नमोस्तुते
रूद्र रूप नमस्तुभ्यं महाकाल नमोस्तुते
स्थावराय नमस्तुभ्यं जंघमाय नमो नमः
नमः उभय रूपा भ्याम शाश्वताय नमो नमः
हुं हुंकार नमस्तुभ्यं निष्कलाय नमो नमः
सचिदानंद रूपआय महाकालाय ते नमः
प्रसीद में नमो नित्यं मेघ वर्ण नमोस्तुते
प्रसीद में महेशान दिग्वासाया नमो नमः
ॐ ह्रीं माया – स्वरूपाय सच्चिदानंद तेजसे
स्वः सम्पूर्ण मन्त्राय सोऽहं हंसाय ते नमः
फल श्रुति
इत्येवं देव देवस्य मह्कालासय भैरवी